दिल्ली-एनसीआर में पुरानी गाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: जानिए गाइडलाइंस और क्या है अगली स्थिति
परिचय:
इस blog में मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर विस्तार से चर्चा की गई है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कोई “सख्त कार्रवाई” नहीं की जाएगी — एक राहत भरा फैसला।
| Delhi NCR Old Vehicle Guidelines 2025: दिल्ली-एनसीआर में पुरानी गाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला |
दिल्ली-एनसीआर में पुराने डीजल (10 वर्ष से अधिक) और पेट्रोल (15 वर्ष से अधिक) वाहनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश दिए हैं। इस ब्लॉग में हम इनके प्रभाव, पृष्ठभूमि और आगे की संभावनाओं पर विस्तार से नजर डालेंगे।
1. सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा आदेश
12 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहन मालिकों के खिलाफ कोई "कोएर्सिव (सख्त) कार्रवाई" नहीं की जाएगी, जब तक कि आगे कानूनी प्रक्रिया पूरी न हो जाए।
साथ ही सरकार को इस प्रतिबंध की समीक्षा के लिए नोटिस जारी किया गया है, और चार सप्ताह बाद पुनः सुनवाई होगी।
2. बनिस्बत पुराने नियमों के — क्या बदला है?
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2015 से लागू नीति: NGT (National Green Tribunal) ने 2015 में 10 वर्षों पुराने डीजल और 15 वर्षों पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया था, जिसका सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समर्थन किया था ।
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नवंबर 2025 तक लागू फ्यूल रोक: CAQM निर्देश के तहत पहचाने गए ‘End-of-Life’ वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा, और नोएडा-गाज़ियाबाद में ANPR कैमरे लगाकर इसका लागू किया जाना है।
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जनता की प्रतिक्रिया: इस प्रतिबंध के विरोध में आम लोगों ने नाराज़गी जताई जिसके बाद दिल्ली सरकार ने इसे पलटा और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
3. क्या कह रही है दिल्ली सरकार?
दिल्ली सरकार का तर्क है कि सिर्फ उम्र के आधार पर वाहन निष्कासित करना निरुपयोगी है। उनका कहना है कि वाहन की फिटनेस, उत्सर्जन स्तर, और कि वह कितना पर्वत तय कर चुका है — यह सारे मापदंड ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं।
4. आम जनता और पर्यावरण पर असर
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वाहक मालिको को श्रद्धांजलि: पुरानी लेकिन नियमित रखरखाव से अच्छी स्थिति में रहने वाली गाड़ियों के मालिकों को इस फैसले से राहत मिली है।
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वायु गुणवत्ता पर प्रभाव: हालांकि पुराने वाहनों से उत्सर्जन अधिक होते हैं, लेकिन कोर्ट और सरकार इस मुद्दे पर संतुलित नीति अपनाने की दिशा में सोच रहे हैं।
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आगे की सुनवाई का महत्व: चार सप्ताह बाद होने वाली सुनवाई से निष्पक्ष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित निर्णय की आशा की जा रही है।
निष्कर्ष (Conclusion):
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक त्वरित राहत है, लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है। नीति निर्धारण में अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण, वाहन फिटनेस, और जागरूकता की अधिक मांग है। इंतज़ार है चार सप्ताह बाद होने वाली सुनवाई का, जिसमें यह तय होगा कि पुरानी गाड़ियों का भविष्य कैसे तय होगा।